मुम्बई। समाजिक साहित्यक संस्था अग्निशिखा मंच ने इस महाव्याधी से ग्रस्त लोगों व चारों तरफ़ दुख का महौल निरन्तर अपनों से बिछड़े के दर्द को कम करने व कुछ राहत महसूस करने के लिये रविवार 2 मई 2020 को 12 बजे से शाम 5 बजे तक एक काव्य प्रतियोगिता ऑनलाइन आयोजित की।
'हंसने का मौसम ले कर आना होगा' या 'हंसने का मौसम आ गया' विषय पर काव्य प्रतियोगिता रखी गई।
ज्ञात हो कि मंच की अध्यक्ष भी इस समय भारी दुख से गुजर रही हैं, उनके पति संस्था के सलाहकार देवेन्द्र पाण्डेय का निधन पिछले समय 20 मार्च को हुआ था। जिसके कारण फ़रवरी से संस्था की गतिविधियाँ रुकी सी थी। यह पहली शुरुआत तीन महिने बाद हुई है।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ कुवंर वीर सिंह मार्तण्ड (सम्पादक - कलकत्ता) ने और सरस्वती वंदना अलका पाण्डेय ने किया।
समारोह अध्यक्ष सुनिल दत्त मिश्रा (अभिनेता) ने सबका हौसला बढ़ाया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनार्दन सिंह, विशेष अतिथि आशा जाकड (संस्था अध्यक्ष) रहीं। वहीं राम राय (शिक्षक), पी एल शर्मा सहित
सबने अपने अपने उद्वबोधन से सभी को रोचक जानकारी दी।
कार्यक्रम संचालन सुरेन्द्र हरड़ें और आभार प्रकट नीरजा ठाकुर ने किया।
सभी रचनाकारों की रचनाएँ बहुत ही उत्कृष्ट थी।
प्रस्तुत है कुछ रचनाओं की झलक :-
यारा सुहाना मौसम हम लेकर आये है।
हंसने का गाने का मौसम हम लेकर आये हैं।
जिदंगी में दुख आये सुख आये हँसते रहो।
हसं कर ज़िंदगी को खुबसुरत बना लो।
ग़मों के साये को दूर भगा लो।
- डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
चल रहे मस्त पवन झकोरे
मौसम सुंदर सुहाना आया
रिमझिम रिमझिम बूदो संग
कुछ ठंडक सी है लाया।।
पदमा तिवारी दमोह
तुमने दुख देखा है विकराल ,अब ठहाका करो और धमाल हंसने का मौसम आ गया तेरी सूरत में है बचपन हजार मेरी सूरत में है कमाल देख दोनों सूरतें अब ठहाका लगाने का मौसम आ गया
रजनी अग्रवाल जोधपुर
"समूचा देश खायेंगे,
एक गरीब आदमी ने मास्क नीचे
कर के एक चमचे से पूछा,
क्योंजी ये नेता लोग
मेवा, माल अन्न सुग्रास क्यों खाते हैं?
सुरेंद्र हरड़े कवि
थोड़ा हंस लो हंसा लों
आया हंसने का मौसम
दुखों के शूल हर कर के
बांटो खुशियों के फूल
दिल हो दुखी कोई ना
ना हो कोई भी आंख नम
आया खुशियों का मौसम
- नीलम पाण्डेय गोरखपुर
बेसबब हिचकियाँ आती नहीं मुझको
किसी ने मुझको याद है फरमाया,
खुशनुमा नग्मा सुबह का किसने गाया
लो आज हँसने का मौसम आया।
- वीना अचतानी
हमें धन्यवाद कहना भी है,
आंतर मन में छिपे आनंद को, ढूँढ कर लाना है,
भक्ति की शक्ति से हमें, मन की ऊर्जा बढाना है
दिल में भले दर्द छुपा हो,मुस्कुरा कर जीना है,
- पद्माक्षि शुक्ल
कार्यक्रम में निम्नलिखित रचनाकारों की उपस्थिति रही
१) शोभा रानी तिवारी
२) रानी नारंग इन्दौर
३) नीरजा ठाकुर
४) हेमा जैन
५) द्रोपती साहू"सरसिज"
महासमुन्द, छत्तीसगढ़
६)अनिता शरद झा मुंबई
७)पद्माक्षि शुक्ल, पुणे
8)मुन्नी देवी गर्ग
9)सुषमा शुक्
10) डाॅ सरोजा मेटी लोडाय" अश्र्विन
१1) सुरेंद्र हरड़े नागपुर '
12)वैष्णो खत्री वेदिका जबलपुर
13)अंजली तिवारी मिश्रा जगदलपुर छत्तीसगढ़
14)पदमा तिवारी, दमोह
15) वीना अचतानी जोधपुर,
16 ममता तिवारी इंदौर
17. वीना आडवानी"तन्वी"
18) रानी अग्रवाल मुम्बई
19) उपेन्द्र अजनवी - गाजीपुर
20) गायत्री खंडाटे
21)रविशंकर कोलते
22) लीला कृपलानी जोधपुर
23) नीलम पाण्डेय
24) अलका पाण्डेय
25) आशा जाकड
26) राम राय
27) विजयेन्द्र मोहन
28) वंदना शर्मा बिंदु देवास
29) सुनीता अग्रवाल इंदौर
30) ऐश्वर्या कापरे जोशी
31) शेखर तिवारी
32) कुवंर प्रताप सिंह
33) जनार्दन मिश्रा
34) सुनिलदत्त मिश्रा
35) पी एस शर्मा
36) हीरा सिंह कौशल
37) डा.महताब अहमद आज़ाद
उत्तर प्रदेश
38) स्मिता धिरासरिया
39) आशा जाकड़
40) डा. साधना तोमर, बागपत, यू.पी.
(41) कवि आनंद जैन अकेला कटनी मध्यप्रदेश
42) इन्द्राणी साहू"साँची"
43 ) आशा लता नायडू
44) बृजकिशोरी त्रिपाठी गोरखपुर,यू.पी
45) जनार्दन शर्मा
46) कुमारी चन्दा देवी स्वर्णकार जबलपुर मध्यप्रदेश
47) रजनी अग्रवाल जोधपुर
48डा ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी शैलेश वाराणसी)
49) कल्पना भदौरिया स्वप्निल, उत्तरप्रदेश
कार्यक्रम बहुत सफल रहा।
हास्य के रंग में रंग कर सब कुछ समय के लिये अवसाद से निकल हंसे आज के माहौल में यह एक सार्थक कदम था।
बहुत शानदार काव्य संम्मेलन
ReplyDeleteइस त्रासदी दौर हर मानव बडी
तकलीफ़ से गुजर रहा था
किसी घर का चिराग बुझ गया
हास्य, की लौ आने से
जिंदगी में कुछ सुकून मिला
सकारात्मक उर्जा का संचार हुआ