नई सोच और सेवा का संकल्प: लोनावाला में 4 दिवसीय बिजनेस लीडरशिप शिविर में महाराष्ट्र के उद्यमियों का सम्मान
मुंबई/लोनावाला - महाराष्ट्र के लोनावाला की हरियाली और शांत वातावरण में 3 से 6 जुलाई तक अल्टीमेट मिलेनियर ब्लू प्रिंट नामक चार दिवसीय नेतृत्व विकास शिविर का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यक्रम ने पारंपरिक बिजनेस ट्रेनिंग से अलग हटकर प्रतिभागियों को आत्मविकास, ध्यान, भारतीय वेदों की शिक्षाओं और करुणा आधारित नेतृत्व के गहन सिद्धांत सिखाए।
कार्यक्रम का संचालन देश के चर्चित बिजनेस कोच, लेखक और समाजसेवी देविदास श्रावण नाईकरे ने किया। देविदास नाईकरे ने अपने सत्रों में प्रतिभागियों को बताया कि सिर्फ मुनाफा और टर्नओवर बढ़ाना ही असली सफलता नहीं है, बल्कि इसके लिए बड़ा विज़न, नैतिकता, सेवा और स्थिर चित्त भी जरूरी है। उन्होंने कहा—“जहाँ मिशन सेवा का हो, दृष्टिकोण समग्र का हो और साधन सच्चाई का हो, वहाँ हर व्यापारिक निर्णय एक साधना बन जाता है।” इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के कई टॉप बिजनेसमैन और महिला उद्यमियों ने हिस्सा लिया। समापन समारोह में प्रतिभागियों को उनके योगदान, सोच और नेतृत्व क्षमता के लिए विशेष सम्मान प्रदान किए गए। अवार्ड सेरेमनी के दौरान बतौर सेलिब्रिटी गेस्ट शामिल हुए प्रसिद्ध संगीतकार दिलीप सेन ने कहा—
“यह अवॉर्ड सिर्फ कामयाबी का नहीं है, बल्कि आपकी सोच और सेवा का प्रतीक है। आप समाज में प्रेरणा बनें और अपनी सफलता से दूसरों का भी उत्थान करें।”
शिविर में हर दिन खास सत्र रखे गए। इनमें आधुनिक बिजनेस स्ट्रैटेजी, डिजिटल युग में मार्केटिंग के तरीके, टीम लीडरशिप, ग्राहक संवाद, साथ ही ध्यान और योग आधारित मानसिक प्रशिक्षण को भी शामिल किया गया। आयोजकों के मुताबिक, कार्यक्रम का मकसद था उद्यमियों को समग्र दृष्टिकोण देना—ताकि वे सिर्फ लाभ न कमाएं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी लाएं।
देविदास नाईकरे ने प्रतिभागियों को भारतीय वेदों के प्राचीन सिद्धांतों और ध्यान की शक्ति से भी परिचित कराया। उन्होंने समझाया कि करुणा, सेवा और आत्म-नियंत्रण जैसे मूल्य आधुनिक नेतृत्व में भी उतने ही जरूरी हैं। उनके शब्दों में—
“जब मन स्थिर हो, कर्म स्पष्ट हो और उद्देश्य नेक हो, तभी व्यवसाय भी सेवा बन जाता है और जीवन भी साधना बन जाता है।”
देविदास नाईकरे खुद 12 किताबों के लेखक हैं और 30 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। वे शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के लिए भी लगातार कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में ऐसे और भी शिविर आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक उद्यमी और युवाओं को सकारात्मक सोच और जिम्मेदार नेतृत्व के लिए तैयार किया जा सके।
कार्यक्रम में कई प्रतिभागियों ने अपने अनुभव भी साझा किए। कई ने कहा कि यह चार दिन सिर्फ बिजनेस प्लानिंग का कोर्स नहीं था, बल्कि एक आत्मिक और मानसिक रूप से प्रेरक यात्रा थी, जिसने उन्हें अपने जीवन और व्यवसाय को नए दृष्टिकोण से देखने की दृष्टि दी।
आयोजकों के मुताबिक, यह पहल महाराष्ट्र में एक नई बिजनेस लीडरशिप संस्कृति की ओर कदम है—जहाँ सफलता का अर्थ सिर्फ धन नहीं, बल्कि समाज के प्रति जवाबदेही और सेवा का भाव भी हो।
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