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एक शॉट में बनी "कृष्णा अर्जुन" फिल्म सेंसर बोर्ड से हरी झंडी पाने के लिए संघर्षरत

मुंबई। फिल्म लेखक निर्माता, निर्देशक और अभिनेता हेमवंत तिवारी की फिल्म “कृष्णा अर्जुन” चर्चा का विषय बनी हुई है। यह फिल्म तकनीकी दृष्टि से बेहद अनोखी मानी जा रही है क्योंकि इसे पूरी तरह एक ही टेक में शूट किया गया है। लगभग 2 घंटे 14 मिनट की यह वन शॉट फिल्म बिना किसी कट या रिटेक के पूरी की गई है, जो भारतीय सिनेमा में पहली बार हुआ है।

फिल्म की कहानी दो जुड़वां भाइयों अर्जुन और कृष्णा के इर्द-गिर्द घूमती है। कृष्णा दबंग लेकिन उदार दिल का है, साथ ही वह होमोसेक्सुअल है, जिसके कारण उसके परिवार और समाज से उसे तिरस्कार झेलना पड़ता है। सामाजिक निंदा से परेशान होकर वह परिवार से दूर चला जाता है। दूसरी तरफ अर्जुन परिवार के साथ रहकर उनका सहारा बनता है।

फिल्म में कई ज्वलंत मुद्दे उठाए गए हैं। अर्जुन के पिता पर कर्ज चुकाने का दबाव इतना बढ़ जाता है कि वह आत्मदाह की कोशिश करते हैं और वहीं लोन एजेंट उन्हें जला देता है। वहीं एक मंत्री द्वारा बलात्कार और हत्या की घटनाएं भी दिखायी गई हैं। मंत्री की करतूतों के खिलाफ गर्भवती पीड़िता जब पुलिस के पास जाती है तो उसी पर मामला दर्ज कर लिया जाता है।

कहानी में अर्जुन और मंत्री के बीच भी संघर्ष है। मंत्री ने अर्जुन की मां के इलाज के बदले तीन लोगों की हत्या की सुपारी दी थी, लेकिन अर्जुन ने उन हत्याओं को अंजाम नहीं दिया। यह सच सामने आने के बाद मंत्री उसे फंसाने के लिए पुलिस का सहारा लेता है। थाने में अर्जुन उसी गर्भवती लड़की से मिलता है जो उसकी पहली नजर का प्यार है। अब अर्जुन उसे मंत्री के चंगुल से बचाने की कोशिश करता है।

फिल्म की पटकथा में सामाजिक सच्चाइयों, हिन्दू-मुस्लिम तनाव, जाति प्रथा, अफसरशाही, राजनीति, और एलजीबीटी मुद्दों को भी जगह दी गई है। फिल्म में अश्लील भाषा और कुछ दृश्य सेंसर बोर्ड को आपत्तिजनक लगे हैं। बोर्ड ने इन्हें हटाने को कहा है। लेकिन हेमवंत तिवारी का तर्क है कि चूंकि यह वन शॉट फिल्म है, कोई भी कट लगाने से इसका स्वरूप और असर खत्म हो जाएगा।

निर्देशक ने सेंसर बोर्ड से आग्रह किया है कि वे कट लगाने के बजाय विवादित दृश्यों को ब्लर या ब्लैक पैच से ढकने की अनुमति दें। तिवारी कहते हैं कि बड़े बजट की फिल्मों में भी ऐसा किया जाता है। उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया है कि अगर बोर्ड को कंटेंट आपत्तिजनक लगे तो फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट या 18+ टैग दे दिया जाए, लेकिन थिएटर में प्रदर्शित होने की अनुमति दी जाए।

फिल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी न मिलने के कारण यूट्यूब पर रिलीज किया गया है, जहां इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। बावजूद इसके, निर्देशक और उनकी टीम की ख्वाहिश है कि यह फिल्म बड़े पर्दे पर भी दिखे। इसके लिए हाल ही में मुंबई के इम्पा दफ्तर में फिल्म की स्क्रीनिंग और प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जहां हेमवंत तिवारी ने मीडिया को इस प्रयोग की चुनौतियों और इसकी अनोखी कला के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि इस वन शॉट फिल्म को संभव बनाने के लिए सभी तकनीशियनों सहित कलाकारों ने आठ महीने तक कड़ी मेहनत और रिहर्सल की। फिल्म में कोई गाना नहीं है, बल्कि एक रॉ और रियल ड्रामा है जिसमें प्यार, दर्द, मारधाड़ और हास्य के साथ-साथ समाज की सच्चाइयों को भी दिखाया गया है।

निर्देशक का मानना है कि यह फिल्म खासतौर पर युवाओं को पसंद आएगी जो आज के समाज की कड़वी सच्चाई को देखना और समझना चाहते हैं। ऐसी घटनाएं आये दिन देश के किसी कोने में घटित हो रही है। उन्होंने सेंसर बोर्ड से अपील की है कि उनकी मेहनत और इस नई कला-शैली का सम्मान करते हुए उनकी फिल्म को थिएटर में रिलीज की अनुमति दी जाए।

 - गायत्री साहू

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